ग्वालियर। देश के प्रख्यात हास्य कवि प्रदीप चौबे का शुक्रवार तड़के दिल का दौरा पड़ने से ग्वालियर में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे। कवि पवन करन ने बताया कि बीती रात करीब 2.30 बजे चौबे को उनके घर में अचानक दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनका निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि प्रदीप चौबे मंच के प्रथम श्रेणी के हास्य कवि रहे हैं। उनकी कई रचनाएं प्रसिद्ध हैं जिनमें ‘आलपिन’, ‘खुदा गायब है’, ‘चुटकुले उदास हैं’ और ‘हल्के-फुल्के’ शामिल हैं।
मूलत: आगरा के रहने वाले प्रदीप चौबे के परिवार में उनकी पत्नी एवं एक पुत्र हैं। 2 महीने पहले उनके दूसरे पुत्र का निधन भोपाल में हो गया था, उससे वे गहरे सदमे में थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को ग्वालियर में होगा।
चौबे देश के प्रथम श्रेणी के हास्य कवि थे और उन्होंने सैकड़ों कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेकर अपनी हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से लोगों को जमकर हंसाया। उनका जन्म 26 अगस्त 1949 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ था। चौबे ग्वालियर आकर बस गए और फिर यहीं के होकर रह गए।
हास्य कवि होने के साथ प्रदीप चौबे पहले देना बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन कवि सम्मेलनों की व्यस्तता के कारण उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और पूरा समय कविताओं को देने लगे। उनके बड़े भाई शैल चतुर्वेदी भी हास्य कवि रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदीप चौबे मंच के प्रथम श्रेणी के हास्य कवि रहे हैं। उनकी कई रचनाएं प्रसिद्ध हैं जिनमें ‘आलपिन’, ‘खुदा गायब है’, ‘चुटकुले उदास हैं’ और ‘हल्के-फुल्के’ शामिल हैं।
मूलत: आगरा के रहने वाले प्रदीप चौबे के परिवार में उनकी पत्नी एवं एक पुत्र हैं। 2 महीने पहले उनके दूसरे पुत्र का निधन भोपाल में हो गया था, उससे वे गहरे सदमे में थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को ग्वालियर में होगा।
चौबे देश के प्रथम श्रेणी के हास्य कवि थे और उन्होंने सैकड़ों कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेकर अपनी हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से लोगों को जमकर हंसाया। उनका जन्म 26 अगस्त 1949 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ था। चौबे ग्वालियर आकर बस गए और फिर यहीं के होकर रह गए।
हास्य कवि होने के साथ प्रदीप चौबे पहले देना बैंक में नौकरी करते थे, लेकिन कवि सम्मेलनों की व्यस्तता के कारण उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और पूरा समय कविताओं को देने लगे। उनके बड़े भाई शैल चतुर्वेदी भी हास्य कवि रहे हैं।