स्वीडन। द रॉयल स्वीडिस अकादमी ने 2020 के साहित्य के नोबेल प्राइज की घोषणा कर दी है. अमेरीकी कवयित्री लूईस ग्लूक को साहित्य क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. उनकी 2006 में लिखी गई “Averno” (एवर्नों) और 2014 में लिखी गई “Faithful and Virtuas Night” (फैथफूल एंड वर्चुअस नाइट) के लिए उन्हें साल 2020 का साहित्य का नोबेल प्राइज दिया गया.
द नोबेल प्राइज ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया से ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. लूईस ग्लूक को ईनाम के रूप में 10 मिलीयन स्वीडन डॉलर दिए जाएंगे.
केमिस्ट्री का नोबेल 7 नवंबर को दिया गयाकल बुधवार 7 अक्टूबर को अमेरीका की जेनिफर ए डौडना और फ्रांस की एमेन्युएल कारपेंटियर को जीनोम एडिटिंग मेथड के विकास के लिए इस साल के केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
फिजिक्स का नोबेल तीन वैज्ञानिकों को मिला
6 अक्टूबर को अमेरीका के रोजर पेनरोज को जनरल रिलेटिवीटी थ्योरी में ब्लैक होल फॉर्मेशन में खोज के लिए, तो वहीं अमेरीका के रीनहार्ड गेंजेल और एंड्रीय घेज को गैलेक्सी के सेन्टर में सुपरमेसीव कम्पाउंड की खोज के लिए संयुक्त रूप से फिजिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया.
मेडिसिन क्षेत्र में सोमवार को दिया गया नोबेल
5 अक्टूबर को मेडिसिन के क्षेत्र में हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को नोबेल प्राइज दिया गया. हार्वे अल्टर, माइकल हॉफटन और चार्ल्स राइस को संयुक्त रूप से हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए नोबेल प्राइज दिया गया.
पढ़िए उनकी ये रचना The Past जिसे 2014 में लिखा गया था - -----
Small light in the sky appearing
suddenly between
two pine boughs, their fine needles
now etched onto the radiant surface
and above this
high, feathery heaven—
Smell the air. That is the smell of the white pine,
most intense when the wind blows through it
and the sound it makes equally strange,
like the sound of the wind in a movie—
Shadows moving. The ropes
making the sound they make. What you hear now
will be the sound of the nightingale, Chordata,
the male bird courting the female—
The ropes shift. The hammock
sways in the wind, tied
firmly between two pine trees.
Smell the air. That is the smell of the white pine.
It is my mother’s voice you hear
or is it only the sound the trees make
when the air passes through them
because what sound would it make,
passing through nothing?
प्रसतुति - अलकनंदा सिंंह