वरिष्ठ कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर को वर्ष 2018 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति साहित्य award दिये जाने की घोषणा की गयी है.
रामधारी सिंह दिवाकर की इन कहानियों में गाँव का जटिल यथार्थ आद्यंत उपलब्ध है। गाँवों की सम्यक् तस्वीर का आधुनिक रूप जो विकास और पिछड़ेपन के संयुक्त द्वंद्वों से उत्पन्न होता है, वही यहाँ चित्रित हुआ है। आर्थिक आधार के मूल में रक्त-संबंधों के बीच गहरे दबावों का वैसा प्रभावपूर्ण चित्रण भी दिवाकर के समकालीन अन्य कहानीकारों में प्रायः नहीं मिलता है।
गौरतलब है कि उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कॉपरेटिव लिमिटेड (इफको) साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष एक हिंदी साहित्यकार को यह award देती है.
रामधारी सिंह दिनकर का चयन उनके व्यापक साहित्यिक अवदानों को ध्यान में रखकर किया गया है. पुरस्कार चयन समिति की अध्यक्षता डीपी त्रिपाठी ने की. इस समिति में मृदुला गर्ग, राजेंद्र कुमार, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, इब्बार रब्बी और दिनेश शुक्ल शामिल थे.
कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज गांव के रहने वाले हैं. वे मिथिला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और वहीं से रिटायर हुए. वे बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक भी रहे हैं.
रामधारी सिंह दिनकर का चयन उनके व्यापक साहित्यिक अवदानों को ध्यान में रखकर किया गया है. पुरस्कार चयन समिति की अध्यक्षता डीपी त्रिपाठी ने की. इस समिति में मृदुला गर्ग, राजेंद्र कुमार, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, इब्बार रब्बी और दिनेश शुक्ल शामिल थे.
कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज गांव के रहने वाले हैं. वे मिथिला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और वहीं से रिटायर हुए. वे बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक भी रहे हैं.
रामधारी सिंह दिवाकर को ये सम्मान 31 जनवरी 2019 को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दिया जाएगा जिसमें एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्तिपत्र के साथ ग्यारह लाख रुपये की राशि का चेक दिया जाएगा.
रामधारी सिंह दिवाकर का नाम हिंदी साहित्य में उनके व्यापक योगदान को ध्यान में रखते हुए डी पी त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने चुना है जिसमें मृदुला गर्ग, राजेन्द्र कुमार, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, इब्बार रब्बी और दिनेश कुमार शुक्ल भी शामिल थे.
रामधारी सिंह दिवाकर का नाम श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए चुने जाने पर इफ्को के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि ‘खेती–किसानी को अपनी रचना का आधार बनाने वाले कथाकार श्री रामधारी सिंह दिवाकर का सम्मान देश के किसानों का सम्मान है.’
बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज गाँव के एक निम्न मध्यवर्गीय किसान परिवार में जन्मे रामधारी सिंह दिवाकर मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर पद से रिटायर हुए हैं. रामधारी सिंह दिवाकर की कई कहानियां अलग-अलग भाषाओं में प्रकाशित हुई है. उनकी अलग-अलग कई रचनाएं जिनमें नये गाँव में, अलग-अलग अपरिचय, बीच से टूटा हुआ, नया घर चढ़े, सरहद के पार, धरातल, माटी-पानी, मखान पोखर, वर्णाश्रम, झूठी कहानी का सच (कहानी-संग्रह) और क्या घर क्या परदेस, काली सुबह का सूरज, पंचमी तत्पुरुष, दाख़िल–ख़ारिज, टूटते दायरे, अकाल संध्या (उपन्यास); मरगंगा में दूब (आलोचना) प्रमुख हैं.
प्रस्तुति: अलकनंदा सिंह
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