रंग भी उधार के..उमंग भी उधार की...
होली भी उधार की, खुशी भी उधार की...
उतरनों में लिपटी लड़की
हतप्रभ सी खड़ी,
देख रही थी..तमाशा आज कि-
उस पर क्यों लुटाई जा रही है
ममता भी उधार की...
कोई गाल छूता रंग से
कोई लगा रहा गुलाल तन पै
गोद में बिठाकर कमबख़्तों ने
होली के बहाने उसे...?
तोल लिया नज़रों से...
लगा लिया मोल धन से...
ऐसे थे रंग बिखरे समाजसेवियों के
अनाथालय की कृपापात्रों पर
खेलकर होली बच्चियों से , कर लिया
इंतज़ाम अपनी दीवाली मनाने का उन्होंने।
- अलकनंदा सिंह
होली भी उधार की, खुशी भी उधार की...
उतरनों में लिपटी लड़की
हतप्रभ सी खड़ी,
देख रही थी..तमाशा आज कि-
उस पर क्यों लुटाई जा रही है
ममता भी उधार की...
कोई गाल छूता रंग से
कोई लगा रहा गुलाल तन पै
गोद में बिठाकर कमबख़्तों ने
होली के बहाने उसे...?
तोल लिया नज़रों से...
लगा लिया मोल धन से...
ऐसे थे रंग बिखरे समाजसेवियों के
अनाथालय की कृपापात्रों पर
खेलकर होली बच्चियों से , कर लिया
इंतज़ाम अपनी दीवाली मनाने का उन्होंने।
- अलकनंदा सिंह
No comments:
Post a Comment