यह चक्रवृत्त सी है एक पहेली कि
पहले आदमी बना या इंसान
शून्य की ही भांति एकटक
समय हमें घूर रहा है निरंतर ,
पूछ रहा है वह कि- शून्य, जो है पूर्ण,
वह कैसे रह पाया है पूर्ण
यही शून्यता है उसकी
कि शून्य में से शून्य के जाने पर भी
उसका शून्य ही बना रह जाना
यह ब्रह्म ही तो है
जो पूर्ण है - अकाट्य है,
जो अनादि है- अनंत भी ,
रेखा- त्रिभुज- चतुर्भुज के अनेक कोणों से मुक्त
इसी वृत्त- में समाये ब्रह्म- ब्रह्मांड में से,
खोजना है वह शेष-बिंदु अभी , कि जहां से
शुरू होता है इस धरती पर-
आदमी का इंसान में और
इंसान का आदमी में बदलते जाना।
- अलकनंदा सिंह
पहले आदमी बना या इंसान
शून्य की ही भांति एकटक
समय हमें घूर रहा है निरंतर ,
पूछ रहा है वह कि- शून्य, जो है पूर्ण,
वह कैसे रह पाया है पूर्ण
यही शून्यता है उसकी
कि शून्य में से शून्य के जाने पर भी
उसका शून्य ही बना रह जाना
यह ब्रह्म ही तो है
जो पूर्ण है - अकाट्य है,
जो अनादि है- अनंत भी ,
रेखा- त्रिभुज- चतुर्भुज के अनेक कोणों से मुक्त
इसी वृत्त- में समाये ब्रह्म- ब्रह्मांड में से,
खोजना है वह शेष-बिंदु अभी , कि जहां से
शुरू होता है इस धरती पर-
आदमी का इंसान में और
इंसान का आदमी में बदलते जाना।
- अलकनंदा सिंह
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा सोमवार ( 07-12-2020) को "वसुधा के अंचल पर" (चर्चा अंक- 3908) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
…
"मीना भारद्वाज"
धन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अनुराधा जी, आपका लेखन भी जबरदस्त होता है , बहुत अच्छा लगता है
Deleteसुंदर और सारगर्भित कृति..।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी
Deleteपहले आदमी बना या इंसान
ReplyDeleteशून्य की ही भांति एकटक
समय हमें घूर रहा...वाह!सराहनीय सृजन दी।
सादर
धन्यवाद बहिन अनीता, आपका संबोधन बहुत अच्छा लगा
Deleteखोजना है वह शेष-बिंदु अभी , कि जहां से
ReplyDeleteशुरू होता है इस धरती पर-
आदमी का इंसान में और
इंसान का आदमी में बदलते जाना। प्रभावशाली लेखन।
धन्यवाद शांतनु जी
Deleteधन्यवाद ओंकार जी
ReplyDeleteरेखा- त्रिभुज- चतुर्भुज के अनेक कोणों से मुक्त
ReplyDeleteइसी वृत्त- में समाये ब्रह्म- ब्रह्मांड में से,
खोजना है वह शेष-बिंदु अभी
सुन्दर पंक्तियाँ
इंसान का आदमी में बदलते जान।
ReplyDeleteवाह! बहुत गहरी पंक्तियाँ।