आप सभी को नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनायें इसीके साथ आज मैं कविवर नागार्जुन की कविता शेयर कर रही हूं- ''चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कलैंडर''
चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू
चंदू, मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेक़ाबू
चंदू, मैंने सपना देखा, कल परसों ही छूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, ख़ूब पतंगें लूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कलैंडर
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ बाहर
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से पटना आए हो
चंदू, मैंने सपना देखा, मेरे लिए शहद लाए हो
चंदू, मैंने सपना देखा, फैल गया है सुयश तुम्हारा
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें जानता भारत सारा
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम तो बहुत बड़े डॉक्टर हो
चंदू, मैंने सपना देखा, अपनी ड्यूटी में तत्पर हो
चंदू, मैंने सपना देखा, इम्तिहान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, पुलिस-यान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ बाहर
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कलैंडर।
प्रस्तुति : अलकनंदा सिंंह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 02 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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कितने भोले मासूम सपने हैं !
ReplyDeleteवाह | नव वर्ष मंगलमय हो |
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएँअलकनंदा जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !! धन्यवाद इतनी सुन्दर कविता के लिए । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ अलकनन्दा जी 🙏
ReplyDeleteकवि नागार्जुन की बात ही निराली है।
ReplyDeleteआभार सुंदर कविता साझा करने के लिए।
नववर्ष २०२५ का आने वाला हर पल शुभता और खुशियों से भरा हो अलकनंदा जी।
सादर।
मज़ेदार कविता !!
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