Monday 23 November 2020

मेरी कव‍िता: शेष रह गया बिंदु

यह चक्रवृत्‍त सी है एक पहेली कि
पहले आदमी बना या इंसान
शून्‍य की ही भांति एकटक
समय हमें घूर रहा है निरंतर ,
पूछ रहा है वह कि- शून्‍य, जो है पूर्ण,
वह कैसे रह पाया है पूर्ण
यही शून्‍यता है उसकी
कि शून्‍य में से शून्‍य के जाने पर भी
उसका शून्‍य ही बना रह जाना

यह ब्रह्म ही तो है
जो पूर्ण है - अकाट्य है,
जो अनादि है- अनंत भी ,
रेखा- त्रिभुज- चतुर्भुज के अनेक कोणों से मुक्‍त
इसी वृत्‍त- में समाये ब्रह्म- ब्रह्मांड में से,
खोजना है वह शेष-बिंदु अभी , कि जहां से
शुरू होता है इस धरती पर-
आदमी का इंसान में और
इंसान का आदमी में बदलते जाना।

- अलकनंदा सिंह
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