Monday 26 October 2020

प्रीति सिंह का बेस्ट सेलिंग उपन्यास है #FlirtingwithFate


 

अंग्रेजी भाषा की भारतीय साहित्यकार एवं उपन्यासकार प्रीति सिंह का बेस्ट सेलिंग उपन्यास है #FlirtingwithFate। जी हां, अंग्रेजी भाषा की भारतीय साहित्यकार एवं उपन्यासकार प्रीति सिंह का आज जन्‍मदिन है। प्रीति सिंह 26 अक्‍टूबर 1971 के दिन अंबाला (हरियाणा) में पैदा हुई थीं।

सन् 2012 में प्रकाशित इनका पहला उपन्यास #FlirtingwithFate बेस्ट सेलिंग उपन्यास रहा और वे अपनी दूसरी किताब “क्रॉसरोड्स” के साथ एक अवॉर्ड विजेता लेखिका बनी। प्रीति सिंह का एक अन्‍य उपन्यास क्रॉसरोड्स, भारत का पहला ऐसा उपन्यास है, जिसमें पात्रों के रूप में वास्तविक जीवन के लोगों का समावेश है। प्रीति सिंह के इस उपन्यास को इंडिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (India Book of World Records) में नाम दर्ज किया जा चुका हैं।
प्रीति सिंह एक सैनिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता मेजर जनरल श्री कुलवंत सिंह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं।
प्रीति सिंह के पहले क्राइम थ्रिलर उपन्यास “फ्लर्टिंग विथ फेट” को राष्ट्रमंडल बुकर पुरस्कार (Commonwealth Booker Prize) के लिए नामांकित और बेस्ट डेब्यू क्राइम फिक्शन 2012 से पुरस्कृत किया गया था। फ्लर्टिंग विथ फेट 80 के दशक की एक कहानी पर आधारित है जो कि शिमला से शुरू होती है। यह थ्रिलर उपन्‍यास एक युवा लड़के के बचपन से शुरू होने वाले सफर की कहानी है जो कि युवा होने पर समझता है कि आदमी जो बोता है, वही काटता है।

अपनी दूसरी पुस्तक क्रॉसरोड्स में प्रीति सिंह ने नारी की मनोस्थिति को एक कहानी के माध्यम से संजोया है। कहानी में असफल प्रेमिका के भीतर के कश्मकश को दर्शाया गया है जिसमें उसके सामने कई दोराहे आते हैं और वह कब क्या फ़ैसला ले, किसके आसरे जिए, इन्हीं का ताना-बाना है। क्रॉसरोड्स, करीब करीब हर भारतीय महिला के सफर की एक अनकही कहानी है। ये कहानी है कविता के सफर की, जो कि घरेलू हिंसा और परेशान किए जाने से मानसिक दबाव में है और एक पत्नी के तौर पर खोई हुई खुशियों और मानसिक शांति को प्राप्त करने के लिए एक अलग रास्ता चुनने का फैसला करती है। वर्ष 2015 में इनके उपन्यास क्रॉसरोड्स का हिंदी में अनुवाद लेखिका पारुल रस्तोगी द्वारा किया गया।

प्रस्तुति‍ : अलकनंदा स‍िंंह 

Tuesday 20 October 2020

‘सरस्वतीचंद्र’ रचने वाले गुजराती साहित्य के कथाकार गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी

 


आधुनिक गुजराती साहित्य के कथाकार गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी की आज 165वीं जयंती है। 20 अक्टूबर 1855 को जन्‍मे गोवर्धन राम की मृत्‍यु 01 अप्रेल 1907 को हुई। गोवर्धनराम कवि, चिंतक, विवेचक, चरित्र लेखक और इतिहासकार भी थे, हालांकि उन्‍हें प्रसिद्धि कथाकार के रूप में ही मिली।

जिस प्रकार आधुनिक गुजराती साहित्य की पुरानी पीढ़ी के अग्रणी ‘नर्मद’ माने जाते हैं, उसी प्रकार उनके बाद की पीढ़ी का नेतृत्व गोवर्धनराम के द्वारा हुआ। संस्कृत साहित्य के गंभीर अनुशीलन तथा रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद आदि विभूतियों के विचारों के प्रभाव से उनके हृदय में प्राचीन भारतीय आर्य संस्कृति के पुनरुत्थान की तीव्र भावना जाग्रत हुई। उनका अधिकांश रचनात्मक साहित्य मूलत: इसी भावना से संबद्ध एवं उद्भूत है।
‘सरस्वतीचंद्र’ उनकी सर्वप्रमुख साहित्यिक कृति है। कथा के क्षेत्र में इसे गुजराती साहित्य का सर्वोच्च कीर्तिशिखर कहा गया है। आचार्य आनंदशंकर बापूभाई ध्रुव ने इसकी गरिमा और भाव समृद्धि को लक्षित करते हुए इसे ‘सरस्वतीचंद्र पुराण’ की संज्ञा प्रदान की थी, जो इसकी लोकप्रियता तथा कल्पना बहुलता को देखते हुए सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होती है।
‘स्नेहामुद्रा’ गोवर्धनराम की ऊर्मिप्रधान भाव गीतियों का, संस्कृतनिष्ठ शैली में लिखित एक विशिष्ठ कविता संग्रह है जो सन 1889 में प्रकाशित हुआ था। इसमें समीक्षकों की मानवीय, आध्यात्मिक एवं प्रकृति परक प्रेम की अनेक प्रतिभा एक समर्थ काव्य विवेचक के रूप में प्रकट हुई है। विल्सन कॉलेज, साहित्य सभा के समक्ष प्रस्तुत अपने गवेषणपूर्ण अंग्रेज़ी व्याख्यानों के माध्यम से गोवर्धनराम जी ने प्राचीन गुजराती साहित्य के इतिहास को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास किया। इनका प्रकाशन ‘क्लैसिकल पोएट्स ऑफ़ गुजरात ऐंड देयर इनफ्लुएंस ऑन सोयायटी ऐंड मॉरल्स’ नाम से हुआ है।
सन् 1905 में ‘गुजराती साहित्य परिषद’ के प्रमुख के रूप में दिये गए अपने भाषण में गोवर्धनराम ने आचार्य आनंदशंकर बापूभाई ध्रुव से प्राप्त सूत्र को पकड़कर नरसी मेहता के काल निर्णय की जो समस्या उठाई, उस पर इतना वादविवाद हुआ कि वह स्वयं ऐतिहासिक महत्व की वस्तु बन गई।
जीवनचरितलेखक के रूप में उनकी क्षमता "लीलावती जीवनकला" (ई. 1906) तथा "नवलग्रंथावलि (ई. 1891) के उपोदघात से अंकित की जाती है। लीलावती उनकी दिवगंता पुत्री थी और उसके चरितलेखन में तत्वचिंतन एवं धर्मदर्शन को प्रधानता देते हुए उन्होंने सूक्ष्म देह की गतिविधि को प्रस्तुत किया है। नवलराम की जीवनकथा की उपेक्षा इसमें आत्मीयता का तत्व अधिक है। नवलराम की जीवनकथा की अपेक्षा इसमें आत्मीयता का तत्व अधिक है। गोवर्धनराम ने अपनी जीवनी के संबंध में भी कुछ "नोट्स लिख छोड़े थे जो अब "स्केच बुक" के नाम से प्रकाशित हो चुके हैं।

Thursday 8 October 2020

अमेरीकी कवयित्री Louise Glück को दिया जाएगा साहित्य का #NobelPrize


स्वीडन। द रॉयल स्वीडिस अकादमी ने 2020 के साहित्य के नोबेल प्राइज की घोषणा कर दी है. अमेरीकी कवयित्री लूईस ग्लूक को साहित्य क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. उनकी 2006 में लिखी गई “Averno” (एवर्नों) और 2014 में लिखी गई “Faithful and Virtuas Night” (फैथफूल एंड वर्चुअस नाइट) के लिए उन्हें साल 2020 का साहित्य का नोबेल प्राइज दिया गया. 

द नोबेल प्राइज ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया से ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. लूईस ग्लूक को ईनाम के रूप में 10 मिलीयन स्वीडन डॉलर दिए जाएंगे.

केमिस्ट्री का नोबेल 7 नवंबर को दिया गया
कल बुधवार 7 अक्टूबर को अमेरीका की जेनिफर ए डौडना और फ्रांस की एमेन्युएल कारपेंटियर को जीनोम एडिटिंग मेथड के विकास के लिए इस साल के केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
फिजिक्स का नोबेल तीन वैज्ञानिकों को मिला
6 अक्टूबर को अमेरीका के रोजर पेनरोज को जनरल रिलेटिवीटी थ्योरी में ब्लैक होल फॉर्मेशन में खोज के लिए, तो वहीं अमेरीका के रीनहार्ड गेंजेल और एंड्रीय घेज को गैलेक्सी के सेन्टर में सुपरमेसीव कम्पाउंड की खोज के लिए संयुक्त रूप से फिजिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया.
मेडिसिन क्षेत्र में सोमवार को दिया गया नोबेल
5 अक्टूबर को मेडिसिन के क्षेत्र में हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को नोबेल प्राइज दिया गया. हार्वे अल्टर, माइकल हॉफटन और चार्ल्स राइस को संयुक्त रूप से हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए नोबेल प्राइज दिया गया.
पढ़‍िए उनकी ये रचना The Past ज‍िसे 2014 में ल‍िखा गया था - -----

Small light in the sky appearing
suddenly between
two pine boughs, their fine needles

now etched onto the radiant surface
and above this
high, feathery heaven—

Smell the air. That is the smell of the white pine,
most intense when the wind blows through it
and the sound it makes equally strange,
like the sound of the wind in a movie—

Shadows moving. The ropes
making the sound they make. What you hear now
will be the sound of the nightingale, Chordata,
the male bird courting the female—

The ropes shift. The hammock
sways in the wind, tied
firmly between two pine trees.

Smell the air. That is the smell of the white pine.

It is my mother’s voice you hear
or is it only the sound the trees make
when the air passes through them

because what sound would it make,
passing through nothing?
 
प्रसतुत‍ि - अलकनंदा स‍िंंह 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...