Saturday, 1 June 2019

आज अनायास ही ...प्रयाण-गीत


प्रयाण-गीत गाए जा!
तू स्वर में स्वर मिलाए जा!
ये जिन्दगी का राग है--जवान जोश खाए जा !
प्रयाण-गीत ...

तू कौम का सपूत है!
स्वतन्त्रता का दूत है!
निशान अपने देश का उठाए जा, उठाए जा !
प्रयाण-गीत...

ये आंधियां पहाड़ क्या?
ये मुश्किलों की बाढ़ क्या?
दहाड़ शेरे हिन्द! आसमान को हिलाए जा !
प्रयाण-गीत...

तू बाजुओं में प्राण भर!
सगर्व वक्ष तान कर!
गुमान मां के दुश्मनों का धूल में मिलाए जा।
प्रयाण-गीत गाए जा!
तू स्वर में स्वर मिलाए जा!
ये जिन्दगी का राग है--जवान जोश खाए जा।

- गोपालप्रसाद व्यास

8 comments:

  1. बहुत ऊर्जस्वित दुंदुभि प्रयाण के नाद का।

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    1. धन्‍यवाद विश्‍वमोहन जी

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  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-06-2019) को

    " नौतपा का प्रहार " (चर्चा अंक- 3355)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है


    अनीता सैनी

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    1. धन्‍यवाद अनीता जी, चर्चामंच पर मेरी पेास्‍ट देने के लिए आपका आभार

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  3. जोशीला गीत...

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    1. धन्‍यवाद अनीता जी

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  4. बहुत जानदार हूंकार।

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