Sunday, 15 May 2022

‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए’: ‘ठुमरी’ के पर्याय थे वाज‍िद अली

 


 संगीत की विधा ‘ठुमरी’ के जन्मदाता के रूप में जाने जाने वाले अवध के नवाब वाज‍िद अली शाह ने ठुमरी के साथ एक और प्रयोग क‍िया, इस प्रयोग में ठुमरी को कत्थक नृत्य के साथ गाया जाता था। इन्होंने कई बेहतरीन ठुमरियां रचीं। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब वाजिद अली शाह को देश निकाला दे दिया, तब उन्होंने ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय’ यह प्रसिद्ध ठुमरी गाते हुए अपनी रियासत से अलविदा कहा।

अवध में संगीत, विशेषकर ठुमरी की समृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर काम हुआ। वाजिद अली शाह ने स्वयं कई ठुमरियां कम्पोज़ कीं, जिनमें से बाबुल मोरा, नैहर छूटो ही जाए… मील का पत्थर साबित हुई।

ठुमरी की उत्पत्ति लखनऊ के नवाब वाज़िद अली शाह के दरबार से मानी जाती है। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने इसे मात्र प्रश्रय दिया और उनके दरबार में ठुमरी गायन नई ऊँचाइयों तक पहुँचा क्योंकि वे खुद 'अख्तर पिया' के नाम से ठुमरियों की रचना करते और गाते थे। हालाँकि इसे मूलतः ब्रज शैली की रचना माना जाता है और इसकी अदाकारी के आधार पर पुनः पूरबी अंग की ठुमरी और पंजाबी अंग की ठुमरी में बाँटा जाता है पूरबी अंग की ठुमरी के भी दो रूप लखनऊ और बनारस की ठुमरी के रूप में प्रचलित हैं। ठुमरी की बंदिश छोटी होती है और श्रृंगार रस प्रधान होती है। भक्ति भाव से अनुस्यूत ठुमरियों में भी बहुधा राधा-कृष्ण के प्रेमाख्यान से विषय उठाये जाते हैं। ठुमरी में प्रयुक्त होने वाले राग भी चपल प्रवृत्ति के होते हैं जैसे: खमाज, भैरवी, तिलक कामोद, तिलंग, पीलू, काफी, झिंझोटी, जोगिया इत्यादि।

शास्त्रीय नृत्‍य कथक का वाजिद अली शाह के दरबार में विशेष विकास हुआ। गुलाबों सिताबों नामक विशिष्ट कठपुतली शैली जो कि वाजिद अली शाह के जीवनी पर आधारित है, का विकास प्रमुख आंगिक दृश्य कला रूप में हुआ।

परफॉर्मिंग आर्ट्स की तरह, वाजिद अली शाह ने भी अपनी अदालत में साहित्य और कई कवियों और लेखकों को संरक्षित किया। उनमें से उल्लेखनीय ‘बराक’, ‘अहमद मिर्जा सबीर’, ‘मुफ्ती मुंशी’ और ‘आमिर अहमद अमीर’ थे, जिन्होंने वाजिद अली शाह, इरशाद-हम-सुल्तान और हिदायत-हम-सुल्तान के आदेशों पर किताबें लिखीं।

ठुमरी के साथ-साथ उन्होंने कथक को लोकप्रियता के शिखर तक ले जाने में अहम भूमिका अदा की। नवाब वाजिद अली शाह की लिखी पुस्तक बानी में 36 प्रकार के रहस वर्णित हैं। ये सभी कथक शैली में व्यवस्थित हैं और इन सभी प्रकारों का अपना एक नाम है, जैसे घूंघट, सलामी, मुजरा, मोरछत्र, मोरपंखी आदि। इनके साथ-साथ इस पुस्तक में रहस विशेष में पहनी जाने वाली पोषाकों, आभूषणों और मंचसज्जा का विस्तृत वर्णन है।

अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कुशल शासक के बजाय उन्हें कला, संगीत प्रेम, विलासिता और रंगीन मिजाज़ के लिए इतिहास में जाना जाता है लेकिन आज हम उनके योगदान का विस्तृत रूप में जानने की कोशिश करते हैं। दरअसल 9 साल तक अवध के शासक रहे वाजिद अली शाह को विरासत में एक कमज़ोर राज्य मिला। उनके पहले के नवाब अंग्रेज़ों से प्लासी और बक्सर में भिड़ चुके थे और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अवध को इसके चलते अंग्रेज़ों को भारी जुर्माना देते रहना पड़ता था।

ललित कलाओं के क्षेत्र में वाजिद अली शाह ने अपना विशेष योगदान दिया, जो आज तक उन्हें प्रसिद्ध बनाता है। उन्हें एक दयालु, उदार, करुणामय और एक अच्छे शासक के रूप में जाना जाता है, जो राज्य के कार्यों में ज्यादा रुचि रखते थे।

वाजिद अली शाह के शासन के अन्तर्गत अवध एक समृद्ध और धनी राज्य था। प्रशासन में सुधार लाने और न्याय एवं सैन्य मामलों की देख रेख के अलावा, वाजिद अली शाह एक कवि, नाटककार, संगीतकार और नर्तक भी थे, जिनके भव्य संरक्षण के तहत ललित कलाएं विकसित हुई थीं।

वाजिद अली शाह ने केसरबाग बारादरी महल परिसर का निर्माण करवाया। इसमें नृत्य-नाटक, रास, जोगियाजश्न और कथक नृत्य की सजीवता झलकती थी, जिसने लखनऊ को एक आकर्षक सांस्कृतिक केंद्र बनाया।

प्रस्‍तुति: अलकनंदा सिंंह

8 comments:

  1. धन्‍यवाद रवींद्र जी

    ReplyDelete
  2. वाजिद अली शाह से प्रभावी साक्षात्कार कराया है आपने। एक अच्छे शासक और कला मर्मज्ञ के रूप में उन्हें इतिहास हमेशा अमर करेगा।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्‍यवाद अमृता जी

      Delete
  3. वाजिद अली शाह और ठुमरी के बारे में जानकारी देता बेहतरीन लेख, सादर नमस्कार अलकनंदा जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्‍यवाद कामिनी जी

      Delete
  4. ज्ञानवर्धक लेख,अलकनंदा जी।
    इतिहास के बहुत सारे पहलुओं से हम अंजान है ऐसे सार्थक लेख साझा करने के लिए आभार आपका।

    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्‍यवाद श्‍वेता जी

      Delete
  5. अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के बारे में विस्तृत जानकारी देता शोधपरक लेख

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...