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Wednesday, 8 November 2017

सबसे बड़ा हिन्‍दी उपन्‍यास ‘कृष्ण की आत्मकथा लिखने वाले मनु शर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि

सबसे बड़ा हिन्‍दी novel लिखने वाले प्रख्‍यात साहित्यकार लेखक व चिंतक पद्मश्री मनु शर्मा का निधन हो गया। स्‍वच्‍छ भारत अभियान के नवरत्‍नों में शामिल थे मनु शर्मा। वरिष्ठ साहित्यकार और हिन्दी में सबसे बड़ा उपन्यास लिखने वाले मनु शर्मा का आज सुबह वाराणसी में निधन हो गया.

उन्‍हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि

मनु शर्मा का सबसे बड़ा हिन्‍दी उपन्‍यास  ‘कृष्ण की आत्मकथा’ 8 खण्डों में लिखा गया। इसका अंतिम 8वें खण्‍ड के ये अंश देखिए...

मुझे देखना हो तो तूफानी सिंधु की उत्ताल तरंगों में देखो। हिमालय के उत्तुंग शिखर पर मेरी शीतलता अनुभव करो। सहस्रों सूर्यों का समवेत ताप ही मेरा ताप है। एक साथ सहस्रों ज्वालामुखियों का विस्फोट मेरा ही विस्फोट है। शंकर के तृतीय नेत्र की प्रलयंकर ज्वाला मेरी ही ज्वाला है। शिव का तांडव मैं हूँ ; प्रलय में मैं हूँ, लय में मैं हूँ, विलय में मैं हूँ। प्रलय के वात्याचक्र का नर्तन मेरा ही नर्तन है। जीवन और मृत्यु मेरा ही विवर्तन है। ब्रह्मांड में मैं हूँ, ब्रह्मांड मुझमें है। संसार की सारी क्रियमाण शक्ति मेरी भुजाओं में है। मेरे पगों की गति धरती की गति है। आप किसे शापित करेंगे, मेरे शरीर को ? यह तो शापित है ही – बहुतों द्वारा शापित है ; और जिस दिन मैंने यह शरीर धारण किया था उसी दिन यह मृत्यु से शापित हो गया था।

यूं तो  नारद की भविष्यवाणी 
दुरभिसंधि 
द्वारका की स्थापना 
लाक्षागृह 
खांडव दाह 
राजसूय यज्ञ 
संघर्ष 
प्रलय

ये कुल 8 खंड लिखे गये मगर जिसतरह  इन खंडों में श्रीकृष्‍ण को मनु शर्मा जी ने जिया ...वह  अद्भुत है। 

कृष्ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्ण के किसी विशिष्ट आयाम को लिया गया है। किन्तु आठ खण्डों में विभक्त इस औपन्यासिक श्रृंखला ‘कृष्ण की आत्मकथा’ में कृष्ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास किया गया है। किसी भी भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त कैनवस का प्रयोग नहीं किया गया है। 
यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय ग्रन्थ है।

प्रस्‍तुति:अलकनंदा सिंह

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