सीमा काढ़ जब धनुष कोर से
लक्ष्मण ने बांटा था अस्तित्व
सीमा लांघ जब रावण ने डाला
दुस्साहस का नया दांव एक..
तब ही से सीमा स्त्रीलिंग हो गई ..
सीमा का ही वो उल्लंघन था
जो सीता बन गई एक स्त्रीदेह मात्र
कहीं ताड़का--मंदोदरी- तो कहीं
उर्मिला और द्रुपदसुताओं को...
सीमाओं में कैद कर गया समय,
सीमाओं के तटबंधों से लेकर..
घर की दहलीजों से चौराहों तक जाते
सीताओं के मत्थे पर सीमा काढ़ते
न जाने कितने राम मिलेंगे.. तुमको हे सीते!
शुद्धि की अग्नि में उस दिन
एक सीता नहीं जली थी, और ना ही
एक राम का जीता था विश्वास
वरन हार गई थी प्रेमिका-पत्नी-
और एक स्त्री भी... जिसने खोया
अपनी सांसों पर अपना अधिकार,
टूटा था उन सब सीताओं का दंभ
जो अपने रामों को पा फूला नहीं समाता था,
भंग हुआ था घोर प्रमाद हर आधे की
अधिकारी - रानी - साम्राज्ञी होने का
सर्वस्व तब नहीं गया था, जब
रावण ने हरण किया था,
हारी तो तब थी पत्नी भी और स्त्री..भी
जब लपटों से बाहर आकर उसने
अपने उसी राम को खोया था
अब चयन करो ! संकल्प करो ! हे सीते,
कि हों कोई रावण.. लक्ष्मण या फिर हों..
कोई भी राम तुम्हारे जीवन में ..
कोई क्यों खींचे-बांधे-काढ़े सीमाओं को
स्वत्व संधान का अधिकार तुम्हारा है
- अलकनंदा सिंह
लक्ष्मण ने बांटा था अस्तित्व
सीमा लांघ जब रावण ने डाला
दुस्साहस का नया दांव एक..
तब ही से सीमा स्त्रीलिंग हो गई ..
सीमा का ही वो उल्लंघन था
जो सीता बन गई एक स्त्रीदेह मात्र
कहीं ताड़का--मंदोदरी- तो कहीं
उर्मिला और द्रुपदसुताओं को...
सीमाओं में कैद कर गया समय,
सीमाओं के तटबंधों से लेकर..
घर की दहलीजों से चौराहों तक जाते
सीताओं के मत्थे पर सीमा काढ़ते
न जाने कितने राम मिलेंगे.. तुमको हे सीते!
शुद्धि की अग्नि में उस दिन
एक सीता नहीं जली थी, और ना ही
एक राम का जीता था विश्वास
वरन हार गई थी प्रेमिका-पत्नी-
और एक स्त्री भी... जिसने खोया
अपनी सांसों पर अपना अधिकार,
टूटा था उन सब सीताओं का दंभ
जो अपने रामों को पा फूला नहीं समाता था,
भंग हुआ था घोर प्रमाद हर आधे की
अधिकारी - रानी - साम्राज्ञी होने का
सर्वस्व तब नहीं गया था, जब
रावण ने हरण किया था,
हारी तो तब थी पत्नी भी और स्त्री..भी
जब लपटों से बाहर आकर उसने
अपने उसी राम को खोया था
अब चयन करो ! संकल्प करो ! हे सीते,
कि हों कोई रावण.. लक्ष्मण या फिर हों..
कोई भी राम तुम्हारे जीवन में ..
कोई क्यों खींचे-बांधे-काढ़े सीमाओं को
स्वत्व संधान का अधिकार तुम्हारा है
- अलकनंदा सिंह
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