देखो..
सखा आज तुमसे कहती हूं
सुनो और बूझो बतलाओ
तुम तो पढ़ लेते थे अंतस मेरा
फिर क्यों आज मेरे मन के...
आखर आखर बीन रहे हो,
देखो..
सब कहते ये पांच तत्व से
मिलकर बना शरीर...
पर छठे तत्व की बनी हूं मैं
इस छठे तत्व को कैसे भूलूं
जिससे चले शरीर..!
देखो..
वो शरीर जिस पर तुमने... हे सखा
पिरो दिये हैं स्वर-श्वास के कुछ फूल
वो शरीर जिस पर गिर कर
रपट रहे हैं सारे जग के तीखे शूल
देखो..
पत्थर पर खुरच रही हूं कबसे
इस छठे तत्व का नाम पता
पर देह- भीतर जो भय बैठा है
नहीं लिख पा रहा इक आखर भी
कहो... तो, इस तरह कैसे होगा
मेरे छठे तत्व का साक्षात्कार
देखो..
यूं तो मुझमें क्षमता है इतनी,
कि पी जाऊं संसार, गरल का -
पर छठे तत्व ने रोका मुझको
तुम पर करने को आघात
ये जितने भी हैं गरल तुम्हारे
क्यों मैं ही पी कर दिखलाऊं
कुछ तेरा भी तो कंठ भिगोये
तुझको भी तो भान कराये
क्यों मेरे ही सब हिस्से आये
तू भी जाने गरिमा इसकी
इसका करे मान सम्मान
देह के भीतर ''मैं'' बैठी हूं
छठे तत्व का पल्लू थाम
- अलकनंदा सिंह
सखा आज तुमसे कहती हूं
सुनो और बूझो बतलाओ
तुम तो पढ़ लेते थे अंतस मेरा
फिर क्यों आज मेरे मन के...
आखर आखर बीन रहे हो,
देखो..
सब कहते ये पांच तत्व से
मिलकर बना शरीर...
पर छठे तत्व की बनी हूं मैं
इस छठे तत्व को कैसे भूलूं
जिससे चले शरीर..!
देखो..
वो शरीर जिस पर तुमने... हे सखा
पिरो दिये हैं स्वर-श्वास के कुछ फूल
वो शरीर जिस पर गिर कर
रपट रहे हैं सारे जग के तीखे शूल
देखो..
पत्थर पर खुरच रही हूं कबसे
इस छठे तत्व का नाम पता
पर देह- भीतर जो भय बैठा है
नहीं लिख पा रहा इक आखर भी
कहो... तो, इस तरह कैसे होगा
मेरे छठे तत्व का साक्षात्कार
देखो..
यूं तो मुझमें क्षमता है इतनी,
कि पी जाऊं संसार, गरल का -
पर छठे तत्व ने रोका मुझको
तुम पर करने को आघात
ये जितने भी हैं गरल तुम्हारे
क्यों मैं ही पी कर दिखलाऊं
कुछ तेरा भी तो कंठ भिगोये
तुझको भी तो भान कराये
क्यों मेरे ही सब हिस्से आये
तू भी जाने गरिमा इसकी
इसका करे मान सम्मान
देह के भीतर ''मैं'' बैठी हूं
छठे तत्व का पल्लू थाम
- अलकनंदा सिंह