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Friday, 20 December 2024

गगन गिल ने हिन्दी कविता को नया स्वर, नया आयाम दिया, साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2024 से होंगी सम्मानित


 गगन गिल ने हिन्दी कविता को नया स्वर, नया आयाम दिया है। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया जाना उनके इस योगदान का रेखांकन है। इस पुरस्कार के लिए उनके चयन से हमें अत्यन्त प्रसन्नता है और हम उन्हें बधाई देते हैं। राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने हिन्दी की प्रतिष्ठित कवि गगन गिल को उनके कविता संग्रह ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए वर्ष 2024 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर बयान जारी करते हुए यह बातें कही।

उन्होंने कहा, प्रकाशक और लेखक दोनों की यात्रा साझी होती है। गगन गिल की सभी कृतियाँ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हैं। हमें खुशी है कि हम गगन गिल के साथ उनकी लेखन-यात्रा में साझीदार रहे हैं। उनकी पहली कृति ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ 1989 में राजकमल प्रकाशन से ही प्रकाशित हुई थी, जिसने हिन्दी साहित्य जगत में व्यापक चर्चा पायी। उनको एक साहित्यकार के रूप में स्थापित करने में इस कविता संग्रह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

गगन गिल की रचनाएँ पाठक को अपने भीतर झाँकने के लिए प्रेरित करती हैं और उन्हें आत्म से साक्षात्कार कराती है। उन्होंने अपनी रचनात्मकता से एक नया साहित्यिक दृष्टिकोण देकर हिन्दी भाषा के साहित्य को समृद्ध किया है।

यह हमारे लिए गर्व और खुशी की बात है कि साहित्य अकादेमी के गगन गिल को पुरस्कृत करने के निर्णय से साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित हमारे लेखकों की सूची में एक और महत्वपूर्ण नाम जुड़ गया है। हम इसके लिए साहित्य अकादेमी को धन्यवाद देते हैं।

गगन गिल को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हम उन्हें एक बार फिर बधाई देते हैं और भविष्य में उनके साहित्यिक कार्यों का स्वागत करते हैं। हम आशा करते हैं कि उनका लेखन नई पीढ़ी के रचनाकारों के लिए के प्रेरणास्त्रोत बनेगा।

गगन गिल का परिचय

गगन गिल हिन्दी कविता-साहित्य का एक अनिवार्य नाम हैं। उनका जन्म 1959 में नई दिल्ली में हुआ था। 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता-शृंखला के प्रकाशित होते ही उनकी कविताओं ने सबका ध्यान आकर्षित किया। तब से उनकी रचनाशीलता साहित्य के अध्येताओं, पाठकों और आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है। अब तक पाँच कविता-संग्रह और चार गद्य कृतियाँ प्रकाशित। पत्रकारिता से भी नाता रहा। एशिया, यूरोप और अमेरिका के अनेक देशों की साहित्यिक यात्राएँ कर चुकी हैं। ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ (1984), ‘संस्कृति सम्मान’ (1989), ‘केदार सम्मान’ (2000), ‘हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान’ (2008) और ‘द्विजदेव सम्मान’ (2010), साहित्य अकादेमी पुरस्कार (2024) से सम्मानित।

प्रकाशित कृतियाँ  

कविता संग्रह— एक दिन लौटेगी लड़की (1989), अँधेरे में बुद्ध (1996), यह आकांक्षा समय नहीं (1998), थपक थपक दिल थपक थपक (2003), मैं जब तक आई बाहर (2018), प्रतिनिधि कविताएँ (2023)

यात्रा वृत्तान्त— अवाक् (2008)

स्मृति आख्यान— दिल्ली में उनींदे (2000), इत्यादि (2019)

साहित्यिक निबन्ध— देह की मुँडेर पर तथा अन्य निबन्ध (2019),

अनुवाद-सम्पादन— जंगल में झील जागती : हरिभजन सिंह की प्रतिनिधि कविताएँ (1989), देवदूत की बजाय कुछ भी : ज़्बीग्निएव हेबैर्त की कविताएँ (2022), तेजस्विनी : अक्क महादेवी के वचन (2023)
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