1. मेरी बेटियां
मेरी बेटियां मेरा जुनून हैं,
ये मेरे मन में नाचते हर्फ हैं
जो मुझे ताकत बख्शते हैं
जो फरिश्ते हैं दोनों
वो मेरी बेटियां हैं
देखो उनके नन्हें पैरों की आवाज
आज भी गूंजती हैं
मेरी इन दीवारों से
2.
जुगनुओं की तरह
मैं अपनी मां को कभी भूलती नहीं,
क्योंकि वो मेरी बेटियों में आकर
जोर से डपट देती हैं मुझे...
...जब मैं होती हूं हताश और
मेरी बेटियां टांक देती हैं
न जाने कितने तारे
मेरे माथे पर अपनी नन्हीं उंगलियों से
और गढ़ देती हैं कुछ शब्द
जुगनुओं की तरह मेरी पलकों के पीछे
और चमकने लगते हैं सारे शब्द
मोती बनकर उनकी आंखों में ।
- अलकनंदा सिंह
मेरी बेटियां मेरा जुनून हैं,
ये मेरे मन में नाचते हर्फ हैं
जो मुझे ताकत बख्शते हैं
जो फरिश्ते हैं दोनों
वो मेरी बेटियां हैं
देखो उनके नन्हें पैरों की आवाज
आज भी गूंजती हैं
मेरी इन दीवारों से
2.
जुगनुओं की तरह
मैं अपनी मां को कभी भूलती नहीं,
क्योंकि वो मेरी बेटियों में आकर
जोर से डपट देती हैं मुझे...
...जब मैं होती हूं हताश और
मेरी बेटियां टांक देती हैं
न जाने कितने तारे
मेरे माथे पर अपनी नन्हीं उंगलियों से
और गढ़ देती हैं कुछ शब्द
जुगनुओं की तरह मेरी पलकों के पीछे
और चमकने लगते हैं सारे शब्द
मोती बनकर उनकी आंखों में ।
- अलकनंदा सिंह